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शनिवार, 3 जून 2023

उपवास रखने की बिधि

 

उपवाश रखने के फायदे



उपवास रखने के कई फायदे हो सकते हैं। यह विभिन्न धार्मिक और सामाजिक प्रथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान कर सकता है। यहां कुछ उपवास रखने के आम फायदे हैं:

शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारना: उपवास करने से शरीर को अवकाश मिलता है और खाने-पीने की अपेक्षित मात्रा कम होती है। इससे पाचन सिस्टम को आराम मिलता है और विषैले पदार्थों का अवशोषण होता है। यहां तक कि कुछ अध्ययनों में देखा गया है कि नियमित रूप से उपवास करने से शारीर की अंतिमिक्षा की मात्रा कम हो जाती है और यह दिल के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकता है।

आत्म-नियंत्रण: उपवास शारीरिक और मानसिक नियंत्रण को सुधारने में मदद करता है। इसके द्वारा आप अपने खाने-पीने की आदतों पर नियंत्रण रख सकते हैं और अपने इच्छानुसार खाने का विचार कर सकते हैं।

शुद्धि और नवीनीकरण: उपवास शरीर के विभिन्न अंगों को शुद्ध करने और ताजगी प्रदान करने में मदद करता है। यह विषैले तत्वों का निकास करने के साथ-साथ शरीर की संयमित आवश्यकताओं को पूरा करने में भी सहायता करता है। इससे शरीर की ऊर्जा स्तर बढ़ता है और मन शांत और प्रेरित बना रहता है।

आध्यात्मिक आगमन: उपवास ध्यान और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है। यह आपको अपने आंतरिक स्वरूप के साथ जुड़ने की अवसर प्रदान करता है और मानसिक शांति और सकारात्मकता का अनुभव करने में मदद करता है। यह आपको मन की शुद्धि और स्थिरता की अनुभूति कराता है और आध्यात्मिक अनुभव को गहराता है।

सामाजिक एकता: उपवास समाज की एकता का प्रतीक होता है। धार्मिक और सामाजिक उपवास कार्यक्रम लोगों को एक साथ आने और साझा कर्मभूमि में संगठित होने का अवसर प्रदान करते हैं। यह सामाजिक संबंधों को मजबूत बनाता है।

सेहतमंद रहना: उपवास करने से शरीर में एक सामग्री नामित ऑटोफेजी उत्पन्न होती है, जिससे शरीर के कुछ अवयवों की मरम्मत होती है और विषैले पदार्थों के अतिरिक्त संचयन को कम किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप, यह सेहतमंद रहने में मदद कर सकता है और अनेक बीमारियों के खतरे को कम कर सकता है।

इंद्रियों का नियंत्रण: उपवास करने से हम अपने इंद्रियों को नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं। यह मन को वश में रखने, स्वयं को बाहरी प्रलोभनों से बचाने और अपनी इंद्रियों के साथ संतुष्ट रहने में मदद करता है। इसके द्वारा हम अपने मन को शांत रखते हैं और ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

सात्विकता और स्वयं विकास: उपवास आपको सात्विक भोजन पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा देता है। सात्विक भोजन में प्राणिजात आहार, शुद्ध और सत्वपूर्ण पदार्थ शामिल होते हैं जो मन, शरीर और आत्मा के लिए उचित होते हैं।

ध्यान और आत्मसंयम: उपवास करने से मन को स्थिर और शांत रखने में मदद मिलती है। इसके द्वारा हम अपने विचारों पर नियंत्रण रख सकते हैं और मन को आत्मसंयमित बना सकते हैं। यह ध्यान और मनोनिग्रह को बढ़ावा देता है, जो आत्मिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

सेवा भावना: उपवास के दौरान बहुत सारे धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इसके माध्यम से लोग आपस में मेल-जोल बढ़ाते हैं और आपसी सहयोग के आदान-प्रदान का अवसर प्राप्त करते हैं। यह सेवा भावना को उत्पन्न करता है और सामाजिक संघ को समृद्ध करता है।

मानसिक शक्ति का विकास: उपवास के दौरान अपनी इच्छाशक्ति और सामर्थ्य को विकसित करने का अवसर मिलता है। यह हमें सामरिक और मानसिक तैयारी के लिए बल प्रदान करता है और संघर्षों का सामना करने में सहायता करता है। यह मानसिक शक्ति, स्थिरता और सामरिक उद्यम को बढ़ावा देता है।

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उपवास का रखना धार्मिक और सामाजिक परंपराओं के अनुसार विभिन्न तिथियों और अवसरों पर किया जाता है। यह तिथियों, धर्म संस्कृतियों, और व्यक्ति की पसंद के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकता है। यहां कुछ प्रमुख अवसर और तिथियां हैं जब उपवास रखा जाता है:

नवरात्रि: नवरात्रि धार्मिक उत्सव है जिसमें मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस अवसर पर लोग नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और मां दुर्गा की आराधना करते हैं।

जन्माष्टमी: जन्माष्टमी, भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है। इस दिन लोग कृष्ण भक्ति में खुद को इंद्रियों से परे रखने के लिए उपवास करते हैं।

एकादशी: एकादशी व्रत महत्वपूर्ण हैं, जो हिन्दू कैलेंडर में हर मास के दूसरे और चौथे दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग पूरे दिन उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है जब भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन शिव भक्त उपवास करते हैं और पूजा करते हैं।

पूर्णिमा और एकादशी: हिन्दू कैलेंडर के महीनों में पूर्णिमा (पूर्ण चंद्रमा) और एकादशी (ग्यारहवीं तिथि) के दिन भी उपवास रखा जाता है। इन दिनों पर उपवास करके लोग धार्मिक कर्मों का पालन करते हैं और अपनी आत्मिक उन्नति के लिए साधना करते हैं।

उत्सव और व्रत: अन्य धार्मिक और सामाजिक उत्सवों और व्रतों के दौरान भी उपवास रखा जाता है। जैसे कि गणेश चतुर्थी, करवा चौथ, रामनवमी, नग पंचमी, व्रतारम्भ आदि।

यह उपवास रखने की कुछ मुख्य तिथियां हैं, हालांकि इसके अलावा भी व्यक्ति अपनी आपसी धार्मिक परंपराओं और आदतों के अनुसार उपवास रख सकता है।

उपवाश कैसे रखें



उपवास को सही तरीके से और सावधानीपूर्वक रखने के लिए निम्नलिखित निर्देशों का पालन करें:

समय और अवधि का चयन करें: उपवास के लिए एक उचित समय और अवधि का चयन करें। यह सामर्थ्य और स्वास्थ्य के अनुसार निर्धारित किया जा सकता है। कुछ लोग पूरे दिन का उपवास करते हैं, जबकि दूसरे लोग एक निश्चित समय या अवधि के लिए उपवास रखते हैं।

पूरी तरह से अन्न का त्याग करें: उपवास के दौरान सभी प्रकार के भोजन, तामब्रह्म, और अन्न का पूर्णतः त्याग करें। इसमें सब्जियाँ, अनाज, अदरक, प्याज़, लहसुन, आदि शामिल हो सकते हैं।

शुद्धता की ध्यान रखें: उपवास के दौरान शरीर की और मन की शुद्धता पर विशेष ध्यान दें। यह अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों में सात्विकता लाने का अवसर हो सकता है।

प्राकृतिक और सात्विक आहार चुनें: उपवास के दौरान, आप प्राकृतिक और सात्विक आहार जैसे फल, सब्जियाँ, दूध, दाल, योगर्ट, खीर, और द्रव्यों का सेवन करें। इन आहारों में पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा होती है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं। विलंब आहार, तेल और मसालेदार भोजन का सेवन न करें।

शरीर को पर्याप्त पानी दें: उपवास के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। यह आपके शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करेगा, ताकि आप उपवास के दौरान अस्वस्थ और परेेेेशान न लगें।

विश्राम और आराम करें: उपवास के दौरान शरीर को प्रशांति देने के लिए पर्याप्त विश्राम और आराम लें। योग और मेडिटेशन के अभ्यास से मन को शांति मिलेगी और आपकी ध्यान क्षमता बढ़ेगी।

स्वास्थ्य की देखभाल करें: उपवास के दौरान अपने स्वास्थ्य का ख़ास ध्यान रखें। अपनी दिनचर्या में योगाभ्यास, प्राणायाम, और ध्यान को शामिल करें। 


उपवास रखना धार्मिक, आध्यात्मिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। यह एक शारीरिक और मानसिक अनुशासन का प्रतीक है और आत्म-निग्रह को प्रशस्त करने का एक माध्यम हो सकता है।

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