- प्राणायाम क्या है
प्राणायाम संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है "प्राण" यानी श्वास की शक्ति और "आयाम" यानी नियंत्रण। यह एक पुरानी भारतीय योग प्रणाली है जिसमें दिल की श्वास को नियंत्रित करके शरीर, मन, और आत्मा को संतुलित रखने का ध्यान दिया जाता है।
प्राणायाम में, विभिन्न प्राणायाम तकनीकों का उपयोग किया जाता है जो निम्नलिखित हो सकती हैं:
दीर्घ श्वास: इसमें गहरी और धीमी श्वास लेकर श्वास की लंबाई को बढ़ाया जाता है।
उज्जायी प्राणायाम: इसमें घने ध्वनि के साथ श्वास लेते हुए गला और नाक की मांसपेशियों को सक्रिय किया जाता है।
नाड़ी शोधन प्राणायाम: इसमें एक नाक से श्वास लेते हुए और दूसरी नाक से छोड़ते हुए नासिका शुद्धि की प्रक्रिया को कहा जाता है।
कपालभाती प्राणायाम: इसमें श्वास लेते हुए गहरी और तेजी से श्वास छोड़ने की तकनीक का उपयोग किया जाता है।
प्राणायाम का लक्ष्य श्वास प्रणाली को संतुलित करना है। इसके माध्यम से श्वास और प्राण शक्ति को नियंत्रित किया जाता है, जो शरीर, मन, और आत्मा के समत्व को बढ़ाता है। प्राणायाम को व्यायाम, ध्यान, और मेधावी गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है।
इसके अलावा, प्राणायाम कई शारीरिक और मानसिक लाभ प्रदान करता है। यह श्वास प्रणाली को स्वस्थ रखने में मदद करता है, रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाता है, मानसिक चंचलता को कम करता है, तनाव को कम करने में सहायता प्रदान करता है और मन को शांति और स्थिरता की अवस्था में लाता है।
अगर आप प्राणायाम करना चाहते हैं, तो आप एक योग गुरु के मार्गदर्शन में शुरू कर सकते हैं जो आपको सही तकनीकें और व्यायामों की जानकारी देगा। सुरक्षित तरीके से प्राणायाम करने के लिए ध्यान और नियमितता महत्वपूर्ण होती है।
प्राणायाम करने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन करें:
आरामदायक वातावरण: ध्यान करने के लिए एक शांत और आरामदायक स्थान चुनें। यदि संभव हो, एक शांत कक्ष में बैठें जहां कोई आवाज़ न हो।
सही आसन: सुखासन, पद्मासन, वज्रासन या अपनी सुविधा के अनुसार किसी अन्य आसन में बैठें। सुनिश्चित करें कि आपकी पीठ सीधी हो और शरीर स्थिर हो।
संकेत और अभ्यास: प्राणायाम का अभ्यास शुरू करने से पहले, गहरी साँस लेकर श्वास को बाहर करें। इसे "दिग्घिति" कहा जाता है। इसके बाद, अपनी ध्यान को अपनी श्वास के माध्यम से लाएं।
विभिन्न प्राणायाम तकनीकों का अभ्यास करें: अपने योग गुरु या अध्यापक के मार्गदर्शन में विभिन्न प्राणायाम तकनीकों को सीखें। ज्यादातर प्राणायाम तकनीकों में निरंतर और समान दीर्घता के श्वास के साथ नियमित ध्यान लगाना होता है।
नियमितता: प्राणायाम को नियमित रूप से करें। आरंभ में, आप अभ्यास के लिए कुछ ही समय के लिए करें फिर धीरे धीरे क्रमशः समय बढ़ाते जाएँ।
प्राणायाम करने की बिधि:-
प्राणायाम करने की बिधि निम्नलिखित रूप से हो सकती है:
शवासन (श्वास की संरेखा): सुखासन या पद्मासन में बैठें। अपनी आँखें बंद करें और शरीर को धीरे से शांत करें। अपने नासिका से गहरी साँस लें जब तक कि आपके फेफड़े भर जाएं। फिर धीरे से श्वास छोड़ें जब तक कि आपके फेफड़े खाली हो जाएं। यह एक श्वास-श्वास की संरेखा के रूप में किया जाता है। श्वास को गहराई से लें और उसे धीरे से छोड़ें।
अनुलोम विलोम प्राणायाम: शवासन में बैठें। अपने दायें नासिका को अपने बायें बाहरी नारियली से ढंकें और धीरे से दायें नारियली से सांस लें। अपने दायें नारियली को हटाएं और दायें नासिका से साँस छोड़ें। फिर वही प्रक्रिया बाएं नारियली के साथ करें। यह एकाग्रता और श्वास की प्रवाह को संतुलित करने में मदद करता है।
भ्रामरी प्राणायाम: शवासन में बैठें। अपने आंखें बंद करें और अपने कानों को अपने अंगूठे से ढकेलें। और अपने मुह को बंद करते हुए गले से आवाज़ करें।
उज्जायी प्राणायाम: शवासन में बैठें और आंखें बंद करें। श्वास को धीरे से लेते हुए अपने गले की मांसपेशियों को सक्रिय करें। इसके लिए, अपने गले में एक हल्की गुनगुनाहट जैसी ध्वनि बनाएं। श्वास को धीरे से छोड़ें और ध्वनि को सामान्य और सुरक्षित बनाएं। यह ध्यान को शांत करने और मन को स्थिर करने में मदद करता है।
कपालभाती प्राणायाम: शवासन में बैठें और स्पष्ट मांसपेशियों के साथ गहरी और तेज श्वास लें। फिर श्वास को तेजी से छोड़ें जैसे कि आपको आंधी से छीना जा रहा है। श्वास छोड़ते समय ध्यान केंद्रित रखें। यह श्वसन मार्ग को साफ करने, शरीर को शक्ति प्रदान करने और मानसिक चंचलता को कम करने में मदद करता है।
नाड़ी शोधन प्राणायाम: शवासन में बैठें और आंखें बंद करें। दाएं नारियली उंगली से दायें नासिका को बंद करें और दाएं नारियली से गहरी सांस लें।
निम्नलिखित चरणों का पालन करते हुए प्राणायाम कर सकते हैं:
शीतली प्राणायाम: शवासन में बैठें और साँस छोड़ें। अपने मुख को आंखों से थोड़ा खुला रखें। अपनी जीभ को रोल करें और श्वास को शीतली नारियली के माध्यम से धीरे से अंदर लें। फिर धीरे से श्वास छोड़ें जब तक कि फेफड़ों में सारी सांस बाहर न आ जाए। यह श्वास प्रणाली को शांत करने, मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करने और मन को स्थिर करने में मदद करता है।
भस्त्रिका प्राणायाम: शवासन में बैठें और आंखें बंद करें। दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रखें। अचानक और तेजी से साँस लें जैसे कि आपको कोई संकट हो रहा है, और फिर उसे तेजी से छोड़ें। इसे दोबारा करें और ध्यान और श्वास को सम्मिलित रखें। यह श्वसन मार्ग को साफ करने, शरीर को ऊर्जा प्रदान करने और मन को सक्रिय करने में मदद करता है।
सीतकारी प्राणायाम: शवासन में बैठें और आंखें बंद करें। दोनों होंठों को संपर्क में लाएं, जैसे आप चीखने जा रहे हों। श्वास अंदर लेते हुए सुनिश्चित करें कि आपके होंठों के बीच आवाज नहीं आ रही है। फिर धीरे से श्वास छोड़ें और उसे धीरे से बाहर निकालें। यह श्वास विश्राम और मन को शांत करने में मदद करता है।
अग्निसार क्रिया: शवासन में बैठें और आंखें बंद करें। उच्चारण के साथ श्वास लें और अपने पेट को अंदर और बाहर करने के लिए नाभि को आंतरिक और बाह्य दबाव दें। फिर श्वास को छोड़ें और पेट को आराम से छोड़ें। यह प्राणिक शक्ति को जागृत करने और पाचन प्रक्रिया को सुधारने में मदद करता है।
ध्यान और प्राणायाम का संयोजन: प्राणायाम के साथ ध्यान का अभ्यास करना आपके मन, शरीर और आत्मा को शांति और स्थिरता प्रदान करता है। ध्यान में अपने श्वास को ध्यान केंद्रित करें और इसे नियमितता के साथ ध्यान के विषय बनाए।
ब्राह्मरी प्राणायाम: शवासन में बैठें और आंखें बंद करें। अपने नाक के छेदों को अपने उंगलियों से ढंकें। श्वास लेते हुए आंखें बंद रखें। फिर धीरे से सांस छोड़ें और इसके साथ गले से आवाज़ उठाएं, जैसे कि भ्रामरी कर रहे हों। इसे कई बार दोहराएं। यह प्राणिक शक्ति को जागृत करने, मन को शांत करने और ध्यान को स्थिर करने में मदद करता है।
अनुदित प्राणायाम: शवासन में बैठें और ध्यान केंद्रित करें। अपने नासिका से गहरी सांस लें और उसे धीरे से छोड़ें। सांस लेते हुए "ओम" ध्वनि उच्चारित करें। फिर धीरे से सांस छोड़ें और मन में "शांति" की भावना को सम्मिलित करें। यह मन को शांत करने, अंतरंग शक्ति को प्रोत्साहित करने और आत्मा के संयोग को स्थायी बनाने में मदद करता है।
प्राणायाम के लाभ :-
प्राणायाम करने के अनेक लाभ होते हैं। यहां कुछ मुख्य लाभों को देखा जा सकता है:
शांति और स्थिरता: प्राणायाम मन को शांत करने और चिंता और तनाव को कम करने में मदद करता है। यह आत्मा की स्थिरता और आनंद को बढ़ाता है।
ऊर्जा और शक्ति: प्राणायाम शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और प्राणिक केंद्र को सक्रिय करता है। यह शरीर को स्वस्थ और तंदरुस्त रखने में मदद करता है।
श्वसन प्रणाली का संतुलन: प्राणायाम श्वसन प्रणाली को संतुलित करने में मदद करता है। यह श्वास लेने की गति को नियंत्रित करने और फेफड़ों को स्वस्थ रखने में सहायता प्रदान करता है।
मानसिक चंचलता कम करना: प्राणायाम मानसिक चंचलता को कम करने में मदद करता है। यह मन को स्थिर और विचारशील बनाने में सहायता प्रदान करता है।
प्राणिक शक्ति को जागृत करना: प्राणायाम प्राणिक शक्ति को जागृत करने में मदद करता है। यह आत्मा के संयोग को स्थायी बनाता है और स्वयं को प्राकृतिक और आनंदमय करता है।
श्वासनली को स्वस्थ रखना: प्राणायाम श्वासनली को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह श्वासनली की पुंजितता और सुचारु गति को बढ़ाता है, जिससे वायु प्रवाह में सुधार होती है। इससे अस्थमा, श्वासकोश रोग और अन्य श्वासनली संबंधी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
आत्म-जागरूकता और संयम: प्राणायाम आत्म-जागरूकता और संयम में मदद करता है। यह आपको अपने अंतरंग शक्तियों को जागृत करने और अपने मन को नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान करता है।
प्राकृतिक रोगों से सुरक्षा: प्राणायाम आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करता है और प्राकृतिक रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह शरीर की ऊर्जा को बढ़ाता है और रोगों के खिलाफ रक्षा कार्यक्रम को सक्षम करता है।
मानसिक स्वास्थ्य और ध्यान: प्राणायाम मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने और ध्यान को स्थिर करने में मदद करता है। यह मानसिक तनाव, चिंता, दुविधा और अवसाद को कम करके मन को एकाग्र करता है।
सामरिक और मानसिक संतुलन: प्राणायाम शारीरिक और मानसिक संतुलन को सुधारने में मदद करता है। यह आपके शरीर और मन की समता और समन्वय को बढ़ाता है, जिससे आप तानाशाही, तनाव और चिंता से मुक्त होते हैं।
अच्छी निद्रा: प्राणायाम निद्रा की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है। यह मन को शांत करता है और अच्छी निद्रा के लिए शरीर को तैयार करता है। यदि आप समय से पहले उठने, अनियंत्रित सोने या निद्रा संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं, तो प्राणायाम इसमें सुधार कर सकता है।
मानसिक स्पष्टता और समय नियंत्रण: प्राणायाम मानसिक स्पष्टता और समय नियंत्रण को बढ़ाता है। यह आपको मन की क्लारिटी और विचारशीलता प्रदान करता है, जिससे आप अपने दैनिक कार्यों को संगठित रूप से कर सकते हैं।
प्राणायाम द्वारा स्वास्थ्य की सुरक्षा: प्राणायाम शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर रोगों से लड़ने में मदद करता है। यह आपके शरीर को स्वस्थ एवम दीर्घायु प्रदान करता है।
प्राणायाम करने के लाभ अनेक हैं। यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। प्राणायाम द्वारा श्वासनली को सुधारा जा सकता है, शरीर को ऊर्जा प्रदान की जा सकती है और मन को शांत कर सकता है। यह मानसिक चंचलता को कम करने, मानसिक स्थिरता और ध्यान को विकसित करने, निद्रा को सुधारने और मनोदशा को सक्रिय करने में मदद करता है। साथ ही, प्राणायाम स्वास्थ्य की सुरक्षा को बढ़ाता है और रोगों से लड़ने में सहायता प्रदान करता है। इसलिए, नियमित रूप से प्राणायाम करना शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
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