मचान विधि से सब्जी की उन्नत खेती: अधिक उपज, कम लागत
![]() |
मचान विधि |
मुख्य: मचान विधि, सब्जी की खेती, लौकी की खेती, करेला मचान, बेल वाली सब्जी की खेती, आधुनिक कृषि

![]() |
लौकी की खेती |
मचान विधि क्या है?
मचान विधि एक पारंपरिक लेकिन अत्यधिक प्रभावी खेती का तरीका है, जिसका उपयोग खासतौर पर बेल वाली सब्जियों की खेती में किया जाता है। इसमें लकड़ी, बांस या लोहे के सहारे एक ढांचा (मचान) बनाया जाता है, जिस पर बेलों को चढ़ाया जाता है।
किन सब्जियों में मचान विधि अपनाई जाती है?
- लौकी
- करेला
- तोरई
- कद्दू
- परवल
- खीरा (शीतकाकड़ी)
मचान विधि अपनाने के फायदे:
- उच्च गुणवत्ता वाली उपज: फल ज़मीन से ऊपर रहते हैं, जिससे गंदगी या सड़न नहीं होती।
- कम रोग और कीट: हवा का बेहतर प्रवाह होने से फफूंद और कीट कम लगते हैं।
- ज्यादा उत्पादन: पौधे स्वस्थ रहते हैं और फल ज्यादा लगते हैं।
- साफ-सफाई और रख-रखाव में सुविधा।
मचान कैसे बनाएं?
1. स्थान का चुनाव करें:
धूप और जल निकासी वाला क्षेत्र चुनें।
2. सामग्री तैयार करें:
- बांस या लोहे की छड़
- मजबूत रस्सी या तार
- जाल (जैसे नारियल की रस्सी, प्लास्टिक नेट)
3. ढांचा बनाएं:
6-7 फीट ऊंचाई तक डंडे लगाकर ऊपर से जाल बांधें।
4. बेल को चढ़ाएं:
पौधों की बेलों को मचान की दिशा में नियमित रूप से मोड़ें।
वीडियो देखें: मचान विधि से लौकी की खेती
सावधानियां:
- मचान की मजबूती की जांच करते रहें।
- बेलों की समय-समय पर छंटाई करें।
- कीट या रोग दिखे तो तुरंत उपाय करें।
निष्कर्ष:
मचान विधि अपनाकर किसान कम जगह में अधिक उपज पा सकते हैं। यह विधि पर्यावरण के अनुकूल, श्रम बचाने वाली और उत्पादन बढ़ाने वाली है।
आपका अनुभव कैसा रहा?
अगर आपने भी मचान विधि अपनाई है या अपनाने की सोच रहे हैं, तो नीचे कमेंट में जरूर बताएं।
पोस्ट को शेयर करें और जुड़ें खेती से जुड़े और टिप्स के लिए!